रांची- ब्लड बैंकों की लापरवाही ने झारखंड के आठ बच्चों के जीवन में जहर घोल दिया है। ये बच्चे थैलेसीमिया का इलाज कराने रांची के डे केयर सेंटर पहुंचे थे। इस दौरान संक्रमित खून चढ़ाने के कारण इनमें पांच बच्चे एचआईवी के शिकार हो गए हैं, जबकि तीन को हेपेटाइटिस सी (एचसीवी) ने अपनी जद में ले लिया है।
रांची में डे केयर का उद्घाटन 25 जुलाई को इसी वर्ष हुआ है। तब से यहां इलाज कराने थैलेसीमिया के 129 मरीज आए हैं। इनमें से आठ संक्रमित पाए गए हैं। इन बच्चों के माता-पिता नेगेटिव हैं। उन्हें किसी प्रकार का संक्रमण नहीं है। सिर्फ संक्रमित खून चढ़ाने के कारण बच्चों के साथ यह ज्यादती हुई है। जरूरत के अनुसार इन बच्चों को समय-समय पर ब्लड बैंक से खून लाकर चढ़ाया गया। इसी दौरान जब इन बच्चों की जांच की गई तो पांच बच्चे एचआईवी एवं तीन एचसीवी से संक्रमित पाए गए। एचआईवी पॉजिटिव पाए गए इन पांच बच्चों में दो रांची, दो झालदा (एक की मौत) एवं एक हजारीबाग का है। छह वर्ष के एक पॉजिटिव बच्चे की मौत हो चुकी है। एचसीवी पॉजिटिव पाए गए तीनों बच्चे रांची जिले के हैं। इनकी औसत उम्र 08 से 13 साल है।
सदर अस्पताल रांची के नोडल अफसर, ब्लड बैंक डॉ. बिमलेश सिंह ने कहा, 'एचआईवी एवं एचसीवी से संक्रमित बच्चों के माता-पिता की जांच में वे नेगेटिव पाए गए हैं। मतलब साफ है कि उन्हें एचआईवी एवं एचसीवी का संक्रमण नहीं है और बच्चों को संक्रमित खून चढ़ाया गया है। राज्य में ऐसे बच्चों की संख्या सैकड़ों में होगी। ब्लड बैंकों एवं औषधि नियंत्रण प्रशासन की लापरवाही के कारण बड़ी संख्या में बच्चे जानलेवा बीमारी के शिकार हो सकते हैं। इसकी जांच आवश्यक है।
रांची डे केयर संचालक अतुल गेरा के अनुसार, राज्य के विभिन्न अस्पतालों में थैलेसीमिया पीड़ित सैकड़ों मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। राज्यभर में यदि जांच कराई जाए तो इस तरह के संक्रमण के सैकड़ों मामले सामने आ सकते हैं। यह एक गंभीर मामला है।
रांची डे केयर संचालक अतुल गेरा के अनुसार, राज्य के विभिन्न अस्पतालों में थैलेसीमिया पीड़ित सैकड़ों मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। राज्यभर में यदि जांच कराई जाए तो इस तरह के संक्रमण के सैकड़ों मामले सामने आ सकते हैं। यह एक गंभीर मामला है।
0 comments:
Post a Comment