रांची- रिम्स का अत्याधुनिक ट्रॉमा सेंटर बनकर तैयार हो गया है। रिम्स प्रबंधन इसे 15 दिन के भीतर हैंडओवर ले लेगा। ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डॉ. आरएस शर्मा ने बताया कि वे सेंटर को हैंडओवर लेने के लिए तैयार हैं। जो कमियां हैं, उसे धीरे-धीरे खत्म कर लिया जाएगा। ट्रॉमा सेंटर के लिए आवश्यक मशीनों की सूची भी तैयार कर ली गई है।ट्रॉमा सेंटर में बेड लगा दिए गए हैं। मशीनों की खरीद के साथ ही इसे शुरू कर दिया जाएगा। डॉ. आरएस शर्मा ने सेंटर में गार्ड की तैनाती और ऑफिस खोलने के लिए रिम्स प्रबंधन को पत्र लिखा है।
एम्स की तर्ज पर किया जाएगा विकसित
रिम्स के ट्रॉमा सेंटर को एम्स की तर्ज पर विकसित करने की योजना है। सड़क दुर्घटना में घायल मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। कई और सुविधाएं भी मिलेंगी। इसे अत्याधुनिक तकनीक लैस किया जा रहा है, ताकि जरूरत पड़ने पर एक साथ दर्जनों मरीज का इलाज हो सके।
भवन जुड़ा है मुख्य भवन से
ट्रामा सेंटर भवन को रिम्स के मुख्य भवन से जोड़ा गया है, ताकि मरीजों को भर्ती करने व अन्य जांच के लिए मरीज ले जाया जा सके। मरीजों की सुविधा को देखते हुए एक ओवरब्रिज का निर्माण किया गया है। दरअसल दोनों भवनों के बीच 40 फीट की सड़क है, इसलिए दोनों भवनों को जोड़ा गया है।
50 बेड ट्रॉमा और 50 बेड इमरजेंसी वार्ड के लिए सुरक्षित
100 बेड वाले ट्रॉमा सेंटर में राज्य में दुर्घटना के शिकार मरीजों को तत्काल चिकित्सा मिलेगी। यहां 50 बेड ट्रॉमा के मरीजों के लिए होंगे और 50 बेड इमरजेंसी वार्ड के लिए। भवन में चार तल्ले हैं। पहले तल्ले पर इमरजेंसी के मरीजों का इलाज होगा। जरूरत पड़ने पर उन्हें भर्ती किया जाएगा। भर्ती ऊपर के तल्ले पर किया जाएगा। मरीजों की सर्जरी के लिए ओटी की व्यवस्था होगी। जल्द ही उपकरणों की खरीदारी होगी, इसके बाद उन्हें ट्रॉमा सेंटर में इंस्टॉल किया जाएगा। ट्रॉमा सेंटर की टीम बिलकुल अलग होगी। टीम में न्यूरो सर्जन, फिजिशियन, ऑर्थोपेडिक सर्जन, एनेस्थीसिया सहित अन्य चिकित्सकों की टीम होगी, जो हमेशा अलर्ट रहेगी।
एम्स की तर्ज पर किया जाएगा विकसित
रिम्स के ट्रॉमा सेंटर को एम्स की तर्ज पर विकसित करने की योजना है। सड़क दुर्घटना में घायल मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। कई और सुविधाएं भी मिलेंगी। इसे अत्याधुनिक तकनीक लैस किया जा रहा है, ताकि जरूरत पड़ने पर एक साथ दर्जनों मरीज का इलाज हो सके।
भवन जुड़ा है मुख्य भवन से
ट्रामा सेंटर भवन को रिम्स के मुख्य भवन से जोड़ा गया है, ताकि मरीजों को भर्ती करने व अन्य जांच के लिए मरीज ले जाया जा सके। मरीजों की सुविधा को देखते हुए एक ओवरब्रिज का निर्माण किया गया है। दरअसल दोनों भवनों के बीच 40 फीट की सड़क है, इसलिए दोनों भवनों को जोड़ा गया है।
50 बेड ट्रॉमा और 50 बेड इमरजेंसी वार्ड के लिए सुरक्षित
100 बेड वाले ट्रॉमा सेंटर में राज्य में दुर्घटना के शिकार मरीजों को तत्काल चिकित्सा मिलेगी। यहां 50 बेड ट्रॉमा के मरीजों के लिए होंगे और 50 बेड इमरजेंसी वार्ड के लिए। भवन में चार तल्ले हैं। पहले तल्ले पर इमरजेंसी के मरीजों का इलाज होगा। जरूरत पड़ने पर उन्हें भर्ती किया जाएगा। भर्ती ऊपर के तल्ले पर किया जाएगा। मरीजों की सर्जरी के लिए ओटी की व्यवस्था होगी। जल्द ही उपकरणों की खरीदारी होगी, इसके बाद उन्हें ट्रॉमा सेंटर में इंस्टॉल किया जाएगा। ट्रॉमा सेंटर की टीम बिलकुल अलग होगी। टीम में न्यूरो सर्जन, फिजिशियन, ऑर्थोपेडिक सर्जन, एनेस्थीसिया सहित अन्य चिकित्सकों की टीम होगी, जो हमेशा अलर्ट रहेगी।
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