Thursday, September 20, 2018

करम महोत्सव में पहुचे मुख्यमंत्री रघुवर दास


रांची- करम महोत्सव का आयोजन  मुरुम ग्राम स्थित रिंग रोड फेज-7 के निकट किया गया . इस दौरान  मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि जनजातीय परंपरा में जीवन यापन के साथ ही पर्यावरण की रक्षा का भाव भी जुड़ा रहा है, इससे समाज के अन्य वर्ग को भी सीख लेने की जरूरत है।




सभी को वृक्ष की रक्षा करने की है जरुवत 
मुख्यमंत्री ने कहा कि करम वृक्ष में इतनी ताकत होती है, कि जहां करम का वृक्ष होता है, वहां इंद्र भगवान बारिश भी जरूरत करते है। उन्होंने कहा कि सांसद रामटहल चौधरी का कहना सही है कि आज करम वृक्ष की संख्या कम हुई है, क्योंकि करम पौधरोपण के लिए बीज नहीं मिलता है, इसके बावजूद कृषि विभाग द्वारा करम पौधे तैयार किये गये है और राज्य में सात हजार करम पौधे लगाये है, इसकी सुरक्षा की जिम्मेवारी सभी पर है।

 वृक्ष में देवी-देवता का  है वास 
उन्होंने कहा कि हर वृक्ष में देवी-देवता का वास होता है, पुरखो-पूर्वजों की मान्यता है कि वृक्ष और पौधे लगाने से सुख-समृद्धि बढ़ती है, इसी कारण लोग पहले पेड़ लगाते थे। उन्होंने कहा कि चाहे सरहुल हो या करमा या अन्य प्रकृति पर्व हो, पेड़-पौधों का काफी महत्व होता है, वटवृक्ष, पीपल, आंवला, नीम व पलाश के वृक्ष संस्कार और संस्कृति से जुड़े है।

करम पर्व से  काफी है लगाव 
उन्होंने बताया कि करम पर्व से उनका काफी पहले से लगाव रहा है, बचपन में सीतारामडीह थाना क्षेत्र के जिस उरांव बस्ती में वे रहते थे, वहां उन्होंने इसके पूरे विधि-विधान को देखा है, रात भर नृत्य-संगीत के बाद दूसरे दिन करमा देवता का विसर्जन जुलूस निकाला जाता था, पार्टी कार्यकर्त्ता के रूप में वे जुलूस में शामिल लोगों की सेवा में जुटे रहते थे।

करम पर्व के बारे में बताया 
मुख्यमंत्री ने बताया कि करम पर्व को लेकर कई प्रचलित कहानियां है, जिसके अनुसार रोहतास में उरांव राजा पर जब मुगल शासन में हमला हुआ, तो करम वृक्ष के गुफा में छिपकर राजकुमार व रानी एवं सोने-जेवरात को बचाया जा सका, वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार करम व गरम दो भाई थे, एक ने धर्म का निर्वहन किया, तो दूसरे ने अपने करम को निभाया।

इस मौके पर सांसद रामटहल चौधरी के अलावा भाजपा विधायक समेत बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्त्ता और आमजन भी मौजूद थे।
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