मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि राज्य में एक महीने के अंदर भाषा एकेडमी की शुरूआत होगी। राज्य सरकार हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए कृतसंकल्पित है। सरकार का प्रयास है कि स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी एवं सरकारी कार्यालयों में अधिक से अधिक कार्य हिन्दी में हो। सरकारी कार्यालयों में हिन्दी की अनिवार्यता के लिए राजभाषा विभाग द्वारा नीति बनाया जाए। राज्य में हिन्दी को बढ़ावा देने के उदेद्श्य से पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के सम्मान में अटल बिहारी वाजपेयी मेमोरियल पुरस्कार योजना की शुरूआत की गई है। इस योजना के तहत साहित्य के क्षेत्र में उदयीमान कवि, मीडिया के क्षेत्र में विख्यात पत्रकार एवं सुशासन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारी को पुरस्कृत किया जाएगा। हिन्दी 21वीं सदी का भारत बनें इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। 21वीं सदी हिन्दी भाषी सदी के रूप में स्थापित होगी। हिन्दी भाषा पूरी दुनिया में विकसित हो सके इस हेतु साहित्यकार, लेखक, कवि एवं पत्रकार सभी लोग भाषा, ज्ञान, तकनीकी इत्यादि विषयों पर हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए चिन्तन एवं मंथन करें। उक्त बातें मुख्यमंत्री ने आज झारखण्ड मंत्रालय स्थित नए सभागार में आयोजित हिन्दी दिवस समारोह में अपने संबोधन में कही।
मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि साहित्यकार, लेखक एवं कवि समाज का आईना होते हैं। आधुनिक युग में हमारी भाषा विज्ञान एवं टेक्नॉलाजी का माध्यम बनें। सोशल साईड के माध्यम जैसे फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, व्हाटसेप इत्यादि में भी अधिक से अधिक हिन्दी का प्रयोग कैसे हो, इस पर अनुसंधान करने की आवश्यकता है। साहित्यकार, लेखक एवं कवि अन्य भाषाओं का भी अध्ययन करें। अध्ययन से जो ज्ञान प्राप्त होगी उसे हिन्दी में रूपांतरित करें। आने वाले समय में हिन्दी को आधुनिक ज्ञान-विज्ञान बनाया जा सके इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि भारत विश्व स्तर में एक बहुत ही बड़ा बाजार है। विश्व के विभिन्न देश भारत के बाजार में स्थापित होना चाहते हैं इस लिए वे हिन्दी सीखने पर जोर दे रहे हैं। बोध गया के श्री रणविजय सिन्हा, चीन के यूआन विश्वविद्यालय, कुनमीन में हिन्दी व्याख्याता हैं। वे चीन के लोगों को हिन्दी सिखाते हैं एवं हिन्दी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं यह देश के लिए बहुत ही गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि आज भारत वर्ष ही नही बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाषा ही वह कड़ी है जो सरकार एवं जनता को आपस में जोड़ती है। जब लोकतंत्र या जनतंत्र में सरकार जनता की होती है तो कोई जनभाषा ही राजभाषा की अधिकारिणी हो सकती है। हिन्दी प्रारंभिक काल से ही जनभाषा, सम्पर्क भाषा के रूप में प्रचलित है। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा राष्ट्र की पहचान, अस्मिता एवं राष्ट्रीयता से संलग्न है। अतएव आवश्यकता है कि गुलामी मानसिकता से बाहर निकलकर हिन्दी से प्रेम करें। आप पढ़ लिख कर भले कितने भी बड़े पद पर क्यों न स्थापित हो परंतु अपनी मातृभाषा को न भूलें।
इस अवसर पर विकास आयुक्त श्री डीके तिवारी, अपर मुख्य सचिव, कार्मिक विभाग श्री केके खंडेलवाल, प्रख्यात साहित्यकार श्री जंग बहादूर पाण्डेय, प्रख्यात साहित्यकार श्री राजदेव सिन्हा, प्रख्यात साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार गुप्ता सहित अधिकारी, कर्मचारीगण, हिन्दी साहित्य से जुड़े प्रबुद्ध लोग उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि साहित्यकार, लेखक एवं कवि समाज का आईना होते हैं। आधुनिक युग में हमारी भाषा विज्ञान एवं टेक्नॉलाजी का माध्यम बनें। सोशल साईड के माध्यम जैसे फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, व्हाटसेप इत्यादि में भी अधिक से अधिक हिन्दी का प्रयोग कैसे हो, इस पर अनुसंधान करने की आवश्यकता है। साहित्यकार, लेखक एवं कवि अन्य भाषाओं का भी अध्ययन करें। अध्ययन से जो ज्ञान प्राप्त होगी उसे हिन्दी में रूपांतरित करें। आने वाले समय में हिन्दी को आधुनिक ज्ञान-विज्ञान बनाया जा सके इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहा कि भारत विश्व स्तर में एक बहुत ही बड़ा बाजार है। विश्व के विभिन्न देश भारत के बाजार में स्थापित होना चाहते हैं इस लिए वे हिन्दी सीखने पर जोर दे रहे हैं। बोध गया के श्री रणविजय सिन्हा, चीन के यूआन विश्वविद्यालय, कुनमीन में हिन्दी व्याख्याता हैं। वे चीन के लोगों को हिन्दी सिखाते हैं एवं हिन्दी का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं यह देश के लिए बहुत ही गौरव का विषय है। उन्होंने कहा कि आज भारत वर्ष ही नही बल्कि वैश्विक स्तर पर भी प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाषा ही वह कड़ी है जो सरकार एवं जनता को आपस में जोड़ती है। जब लोकतंत्र या जनतंत्र में सरकार जनता की होती है तो कोई जनभाषा ही राजभाषा की अधिकारिणी हो सकती है। हिन्दी प्रारंभिक काल से ही जनभाषा, सम्पर्क भाषा के रूप में प्रचलित है। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा राष्ट्र की पहचान, अस्मिता एवं राष्ट्रीयता से संलग्न है। अतएव आवश्यकता है कि गुलामी मानसिकता से बाहर निकलकर हिन्दी से प्रेम करें। आप पढ़ लिख कर भले कितने भी बड़े पद पर क्यों न स्थापित हो परंतु अपनी मातृभाषा को न भूलें।
इस अवसर पर विकास आयुक्त श्री डीके तिवारी, अपर मुख्य सचिव, कार्मिक विभाग श्री केके खंडेलवाल, प्रख्यात साहित्यकार श्री जंग बहादूर पाण्डेय, प्रख्यात साहित्यकार श्री राजदेव सिन्हा, प्रख्यात साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार गुप्ता सहित अधिकारी, कर्मचारीगण, हिन्दी साहित्य से जुड़े प्रबुद्ध लोग उपस्थित थे।
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